इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) जल्द ही देश का नया रॉकेट लॉन्च करने जा रहा है। इसका नाम स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) है। पहली लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से 7 अगस्त को सुबह 9.18 पर होगी। यह रॉकेट अर्थ ऑब्जर्वेशनल सैटेलाइट (EOS-02) को अंतरिक्ष तक पहुंचाने का काम करेगा।
SSLV क्या है?
वैसे तो ISRO अपने सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष तक पहुंचाने के लिए GSLV या PSLV का इस्तेमाल करता है, लेकिन इस बार SSLV का यूज किया जा रहा है। दरअसल, यह रॉकेट छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग में काम आएगा। इसकी लंबाई 112 फीट, व्यास 6.7 फीट और वजन 120 टन है।
इससे लगभग 500 किलोग्राम के सैटेलाइट्स पृथ्वी की निचली कक्षा (लोअर ऑर्बिट) में भेजे जा सकते हैं। उधर, PSLV 1,750 किलोग्राम और GSLV 4,000 किलोग्राम तक वजन अंतरिक्ष में ले जा सकते हैं।

SSLV के परीक्षण में हुई देरी
SSLV को अंतरिक्ष में छोड़ने की योजना कोरोना महामारी शुरू होने के पहले बनाई गई थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इसमें देरी हो गई। इसके बाद ISRO ने इस साल की पहली तिमाही में मिशन शुरू करने की योजना बनाई। साथ ही इसकी टेस्टिंग में भी काफी समय लग गया।
EOS-02 सैटेलाइट की खासियत
EOS-02 ऐसा सैटेलाइट है जिसके जरिए भारत की नई तकनीक जैसे- कृषि, फोरेस्ट्री, भूविज्ञान और जल विज्ञान का प्रदर्शन होगा। इस माइक्रो सैटेलाइट को ISRO ने ही विकसित किया है। SSLV का यह मिशन ISRO चीफ एस सोमनाथ के दिमाग की ही उपज है।