पति की बेवफाई का सबूत:सविता के ईमेल से पति के अफेयर का राज खुला, दीना इस रिश्ते को अंजाम तक पहुंचाना चाहती है

दीना ने ईमेल पढ़ा। उसकी पलकें भीगती गईं और पता नहीं कब ऐसा लगा जैसे कोई ग्लेशियर पिघलकर झरना बनने लगा हो। तभी सुकेश ने कमरे में प्रवेश किया और चौंक पड़े, “क्या हुआ? क्या पढ़ रही हो? ऐसा क्या है…”

दीना अचकचा गई। उसने झटके से ईमेल बंद किया और खुद को समेटने लगी, “कुछ नहीं, एक मार्मिक कहानी है और कुछ नहीं..” शुक्र है, सुकेश को कोई शक नहीं हुआ।

“तुम भी न! इतना सेंटीमेंटल होना भी ठीक नहीं,” कहते हुए वे मुड़ गए तो दीना ने चैन की सांस ली।

सुकेश के ऑफिस जाने के बाद दीना का दिल स्वार्थ और संवेदना के पहलवानों की लड़ाई का अखाड़ा बन गया। स्वार्थ कहता, ‘मूर्ख हो क्या? उस लड़की से अपने पति को मिलाने की बात सोच रही हो जिससे कभी उन्होंने टूटकर प्यार किया था? आज वो उससे नफरत करते हैं और तुम हो कि प्रेम की उस सरिता को दोबारा बहाना चाहती हो?’

पर संवेदना रह-रहकर कसक उठती। प्रेम की उस पावन मूर्ति को क्या जीवन के आखिरी क्षण में इतना भी अधिकार नहीं कि वो उसे देख सके जिसके लिए उसने जीवन भर त्याग किया, तपस्या की?

दीना, सुकेश और सविता एक ही कॉलेज में थे। सुकेश और सविता की प्रेम कहानी के बारे में थोड़ा-बहुत सुना तो था। शादी से पहले सुकेश ने बताया था सब कुछ। वो निश्छल प्रेम, वो उसे उसके घर से भगा लाने की योजना बनाना, तमाम खतरे उठाकर उसे उसके घर से निकालकर अपने घर तक लाना और वहां आकर उसका बताना कि वो किसी और को प्यार करती थी और उस तक पहुंचने के लिए मोहरा बनाया था सुकेश को।

फिर उस लड़के

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